पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा कि पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए. महाकुंभ में हमने अपनी राष्ट्रीय चेतना के विराट दर्शन किए, जो नए संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरित करती है. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के ठीक एक साल बाद महाकुंभ के सफल आयोजन ने कुछ लोगों द्वारा हमारी क्षमता पर किए गए संदेह को धता बता दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आज मैं इस सदन के माध्यम से देशवासियों को नमन करता हूं जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ है। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है.. मैं सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। मैं देश भर के श्रद्धालुओं, उत्तर प्रदेश व विशेष रूप से प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।”
पीएम ने कहा, “मानव जीवन के इतिहास में ऐसे कई मोड़ आते हैं, जो पीढ़ियों को दिशा देते हैं।” पीएम मोदी ने महाकुंभ पर बोलते हुए कहा कि आयोजन के दौरान लोग सुविधा-असुविधा की चिंता छोड़कर इसमें शामिल हुए। पीएम ने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे संस्कारों के आगे बढ़ने का क्रम जारी है। आज भारत का युवा अपनी परंपरा अपनी आस्था और परंपरा को गर्व के साथ अपना बना रहा है। एक देश के रूप में हम बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने का भरोसा बढ़ा। अपने विरासत से जुड़ने की परंपरा आज के भारत की सबसे बड़ी पूंजी है।
पीएम मोदी ने कहा कि युवा पीढ़ी भी पूरे भाव से महाकुंभ से जुड़ी। महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों को जवाब मिला है। देश के कोने-कोने में आध्यात्मिक चेतना उभरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकुंभ को भारत के इतिहास में अहम मोड़ करार देते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप था। उन्होंने निचले सदन में प्रयागराज महाकुंभ को लेकर दिए एक वक्तव्य में यह भी कहा कि महाकुंभ से ‘एकता का अमृत’ और कई अन्य अमृत निकले हैं।मोदी ने लोकसभा में कहा कि मैं प्रयागराज महाकुंभ को गांधीजी के ‘दांडी मार्च’, सुभाष चंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ नारे जैसे ही एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं जिसमें जागृत होते हुए देश का प्रतिबिंब नजर आता है. मैं पिछले सप्ताह त्रिवेणी का पवित्र जल मॉरीशस लेकर गया था, जब उस जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में प्रवाहित किया गया तो वहां बहुत ही उत्साह और आस्था का माहौल था.